एक कहानी जो तक़दीर ने मेरे लिए लिखी....एक कहानी जो मैंने अपनी कलम से लिखी....फर्क दोनों
मे सिर्फ रहा इतना,तक़दीर की कहानी के आगे सर हमेशा झुकाया मैंने....लेकिन जब कलम मेरी ने
लफ्ज़ उतारे पन्नो पर,तो किसी के सर झुकाने की आहट तक ना सुनी...कलम तो कलम ही है,जिस
का काम है लफ्ज़ो पे चलना...आहट सुनने के लिए अब कौन रुके,जब टूटे गी कलम,कहानी खुद ब खुद
रुक जाए गी ....
मे सिर्फ रहा इतना,तक़दीर की कहानी के आगे सर हमेशा झुकाया मैंने....लेकिन जब कलम मेरी ने
लफ्ज़ उतारे पन्नो पर,तो किसी के सर झुकाने की आहट तक ना सुनी...कलम तो कलम ही है,जिस
का काम है लफ्ज़ो पे चलना...आहट सुनने के लिए अब कौन रुके,जब टूटे गी कलम,कहानी खुद ब खुद
रुक जाए गी ....