Tuesday 3 April 2018

बहुत ख़ामोशी है इन हवाओ मे आज,इतनी ख़ामोशी कि धडकनों को सुनाई दे रही है धडकनों की आवाज़ ..

क्यों बेताबी है बादलों मे आज,बिजली की चमक से गूंज रहा यह आसमां कुछ खास.... फूलो ने बिखेरी

है खुशबू कुछ अलग अंदाज़ मे आज....एक हलकी सी परत शर्म की छाई है चांदनी के उस पार....कुछ

समझ से परे है बाते उन की आज...लापरवाही इस दुपट्टे की,संभाले नहीं सँभलती आज...बस सुनाई दे

रही है धडकनों को सिर्फ धडकनों की आवाज़....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...