Thursday 12 April 2018

हा .. फिर से तेरे साथ जन्मो जनम साथ रहने का वादा करते है...उन्ही तमाम कमियों के साथ,एक

बार नहीं करोड़ो बार साथ निभाने का वचन देते है....ग़ुरबत भी हो या दौलत के ख़ज़ानों का अंबार

प्यार कहा देखता है इन इशारो का हिसाब....जीने के लिए इक छोटा सा घर,उस मे बसी हो तेरी मेरी

सांसो की महक...सुबह उठू तो तुझे देखु,रात तेरी आगोश मे बसे...तेरी सूरत पे मै जाऊ वारी वारी,और

तू मेरी हसी की इक पहचान रहे...काफी है यह सब हर जनम साथ निभाने के लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...