आजा ना अब...कि घर अपने लौट चले...तेरे ही साथ,तेरे ही लिए..फिर से इस ज़िंदगी को एक साथ
जिए....तेरी ही बाहों मे बहके,तेरी आगोश मे सकून से सो जाए...तेरे साथ नई सुबह देखे और फिर
अपने ही घर की चारदीवारी मे कैद हो जाए...एक बार से फिर दुल्हन के लिबास मे,तेरे होश उड़ा डाले
ना तू कुछ मुझ से कहे,ना मै तुझ से कुछ बोलू...नैनो की भाषा मे,एक साथ फिर इन्ही लम्हो को जी
भर कर जिए...आ भी जा...कि घर अपने अब लौट चले...
जिए....तेरी ही बाहों मे बहके,तेरी आगोश मे सकून से सो जाए...तेरे साथ नई सुबह देखे और फिर
अपने ही घर की चारदीवारी मे कैद हो जाए...एक बार से फिर दुल्हन के लिबास मे,तेरे होश उड़ा डाले
ना तू कुछ मुझ से कहे,ना मै तुझ से कुछ बोलू...नैनो की भाषा मे,एक साथ फिर इन्ही लम्हो को जी
भर कर जिए...आ भी जा...कि घर अपने अब लौट चले...