Sunday 11 March 2018

पलक झपकने का मन ही नहीं,तो नींद को इन आँखों मे कहाँ से लाए....बाते तुझ से हज़ार करे,पर

तुझे ढूंढ कर अब कहाँ से लाए...एक एहसास तेरा जो मुझे रोने भी नहीं देता,पर वो प्यार तेरा मुझे

बरसो से चैन से सोने भी नहीं देता....आईना है सामने मेरे,रूप की चांदनी खिली है आज भी चेहरे

पे मेरे....तुझे जो वादा दिया,उस के तहत उसी नूर के मालिक आज भी है...रात गहरा रही है धीमे

धीमे,सो जाए या सपनो मे तेरे आने का इंतज़ार करे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...