Friday 16 March 2018

बहुत ही शिद्दत से मुस्कुराते है हम,जब भी हद से जय्दा उदास होते है....रात की ख़ामोशी मे जितना

तड़प कर रोते है हम,सुबह रौशन होते ही जी भर खिलखिलाते नज़र आते है हम...दुनिया कहती है

कितने खुशनसीब है हम,बस लोगो की इसी दीवानगी के नखरे उठा उठा जाते है हम....बेबसी अपनी

को नज़रअंदाज़ कर इन्ही पन्नो पे फिर से बिखर जाते है हम....लोगो की वाही वाही से अपनी उदास

दुनिया को फिर से समेटने लगते है हम....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...