Monday 5 February 2018

ज़िंदगी कहती रही ,हम सुनते रहे....वो सबक देती रही,हम सबक सीखते रहे....किसी मोड़ पे बर्बाद कर

वो हम पे हस पड़ी और हम.....बेबसी का घूट पी उस का सबक मानते रहे......ख़ुशी के लम्हो को जो

सहेजा हम ने,बात बात पे खिलखिला कर जब हसना सीखा हम ने......चुपके से फिर कही से वार

कर,हमें दर्द का वो तोहफा दिया कि ना रो सके ना फिर चुप रह सके.....जाए तो जाए कहाँ,बस इल्तज़ा

है ज़िंदगी...अब तो इंसाफ कर..कुछ ख़ुशी ऐसी तो दे कि तेरे नाम पे हम को नाज़ हो....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...