खूबसूरत नज़ारो को जो देखा,यक़ीनन इस ज़िंदगी से बेपनाह प्यार हो गया....समंदर की लहरों को
जो छुआ,हर जनम इस के साथ बहकने का इरादा हो गया....तितली को जो उड़ते देखा,आसमान मे
खुद को उड़ान देने का मन हो गया....हथेलियों से जो रेत का घर बनाया हम ने,सच कहे तेरे साथ
फिर हज़ारो जन्म अपने घर मे रहने का दिल हो गया ....हकीकत मे,तू साथ नहीं अब मेरे..लेकिन
खुदा की रहमत जान कर यह दिल क्यों फिर भर आया.....
जो छुआ,हर जनम इस के साथ बहकने का इरादा हो गया....तितली को जो उड़ते देखा,आसमान मे
खुद को उड़ान देने का मन हो गया....हथेलियों से जो रेत का घर बनाया हम ने,सच कहे तेरे साथ
फिर हज़ारो जन्म अपने घर मे रहने का दिल हो गया ....हकीकत मे,तू साथ नहीं अब मेरे..लेकिन
खुदा की रहमत जान कर यह दिल क्यों फिर भर आया.....