Saturday 3 February 2018

खूबसूरत नज़ारो को जो देखा,यक़ीनन इस ज़िंदगी से बेपनाह प्यार हो गया....समंदर की लहरों को

जो छुआ,हर जनम इस के साथ बहकने का इरादा हो गया....तितली को जो उड़ते देखा,आसमान मे

खुद को  उड़ान देने का मन हो गया....हथेलियों से जो रेत का घर बनाया हम ने,सच कहे तेरे साथ

फिर हज़ारो जन्म अपने घर मे रहने का दिल हो गया ....हकीकत मे,तू साथ नहीं अब मेरे..लेकिन

खुदा की रहमत जान कर यह दिल क्यों फिर भर आया.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...