बेपरवाह रहने के लिए,जरुरी था कि खुद को सवारा जाए....यह मुस्कान फिर लौट कर ना जाए कभी,
जरुरी था कि ज़मीर पे बोझ ना डाला जाए....चुपके चुपके कोई दर्द का झोका हम को रुला ना जाए,
खुद को आईने मे सौ बार निहारा हम ने.....सादगी मे जीने के लिए कोई ना टोके हम को,हर फूल से
हौले हौले उस का हुस्न चुराया हम ने.....जीते जी रोशन रहे दुनिया मेरी,हर किसी के हर सवाल को
सिरे से नकार दिया हम ने....
जरुरी था कि ज़मीर पे बोझ ना डाला जाए....चुपके चुपके कोई दर्द का झोका हम को रुला ना जाए,
खुद को आईने मे सौ बार निहारा हम ने.....सादगी मे जीने के लिए कोई ना टोके हम को,हर फूल से
हौले हौले उस का हुस्न चुराया हम ने.....जीते जी रोशन रहे दुनिया मेरी,हर किसी के हर सवाल को
सिरे से नकार दिया हम ने....