दूर बहुत दूर...जहां आसमां ख़त्म हो जाए गा----धरती की वो तह...जहां उस का वज़ूद रुक जाए गा ----
इंसानी फितरत की वो हवा...जहां मुहब्बत का नाम रौंदा जाए गा-----तुझ तक पहुंचने के लिए इन सब
को हर हाल मे पार किया जाए गा-----जिस्म को तो एक दिन इसी मिट्टी मे मिल जाना है----रूह को
तुझ तक आने के लिए,इन सभी को पार कर जाना है---किरदार बदल जाया करते है,पर सवाल रूह पे
कौन उठाए गा----मुहब्बत को पाने के लिए इसी रूह का नाम ज़न्नत मे भी पूजा जाए गा -----
इंसानी फितरत की वो हवा...जहां मुहब्बत का नाम रौंदा जाए गा-----तुझ तक पहुंचने के लिए इन सब
को हर हाल मे पार किया जाए गा-----जिस्म को तो एक दिन इसी मिट्टी मे मिल जाना है----रूह को
तुझ तक आने के लिए,इन सभी को पार कर जाना है---किरदार बदल जाया करते है,पर सवाल रूह पे
कौन उठाए गा----मुहब्बत को पाने के लिए इसी रूह का नाम ज़न्नत मे भी पूजा जाए गा -----