ना कर शर्मिंदा मुझे दे कर दुलार इतना,ज़माना तकलीफ मे आ जाए गा---ना उठा नाज़ मेरे हसीन
नखरो के,मेरा बचपना लौट ना पाए गा----मेरी नींद के हसीन सपनो को अपनी ख़ामोशी का रंग दे
कर,इतना गुमान मुझ पे ना कर..तेरा दिल मुझी को सोचने पे मज़बूर हो जाए गा---शाखाओ से टूट
कर फूल फिर खिला नहीं करते,ना दुलार मुझ से इतना बड़ा कि मेरे खामोश होने से यक़ीनन तू बिखर
जाए गा -----
नखरो के,मेरा बचपना लौट ना पाए गा----मेरी नींद के हसीन सपनो को अपनी ख़ामोशी का रंग दे
कर,इतना गुमान मुझ पे ना कर..तेरा दिल मुझी को सोचने पे मज़बूर हो जाए गा---शाखाओ से टूट
कर फूल फिर खिला नहीं करते,ना दुलार मुझ से इतना बड़ा कि मेरे खामोश होने से यक़ीनन तू बिखर
जाए गा -----