Thursday 7 December 2017

हवाओ की रुखसती और यह बरसता पानी----कुछ मीठी कुछ खट्टी यादो के साथ ज़िन्दगी की प्यारी

सी मेहरबानी---तेरे आने की खबर से हर तरफ रौनक क्यों है----तेरे कदमो की आहट से पहले खामोशिया

गुनगुनाती क्यों है----शाखों से टूट कर यह फूल तेरी राहो मे बिछने के लिए राज़ी क्यों है----अरे..खिल

गई है यह धूप,तुझे मेरे घर का रास्ता दिखाने के लिए......बादलों को चीर कर तेरा ही सज़दा करने बस

आई है यह धूप----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...