Saturday 23 December 2017

मेरे पास तेरी खामोशियो का कोई जवाब तो नहीं,पर तेरे लब कभी खुले इकरार के लिए,इस का वादा

मेरे दिल के हिजाब मे है तो कही----खामोशिया कभी रुला दिया करती है तो कभी दिलो को भारी भी

कर जाती है---बेवजह जीने की तमन्ना इंसानी फितरत की कोई कला तो नहीं,तू कभी कुदरत से ना

रूठे इस लिए साथ तेरे चलना..मेरी किस्मत मे है तो कही----अब बोल तो दे कुछ लफ्ज़ मुहब्बत के

लिए,कि अब तेरी इन खामोशियो का मेरे पास कोई जवाब ही नहीं----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...