Sunday 17 December 2017

तेरी यादो ने आज क्यों फिर कहर ढाया है---तेरी ही बाहों मे सिमटने के लिए यह दिल क्यों भर आया

है---तेरे पास आने के लिए यह जिस्म क्यों रूह से अलग होने को रोने रोने को आया है----जज्बात है

कि तड़प रहे है तेरी दुनिया मे तेरे पास आने के लिए----किस से कहे कि ज़िंदगी का यह सफर अब

कटता नहीं तेरे बिना----कोई भी रिश्ता भाता नहीं अब तेरे बिना----क्यों आज फिर तेरी उन्ही यादो ने

मेरी रूह पे कहर ढाया है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...