Sunday 10 December 2017

भरी नज़र पूछती है ज़िंदगी तुझ से,आखिर ख़ुशी के मायने क्या है----क्या दौलत या कदम कदम पे

बिखरती खूबसूरती की चमक....कभी नकाब ओढ़े हुए झूठे रिश्तो की हसी,तो कभी आंसू पलकों मे

छिपाए मुस्कुराती सी छवि....ना चाहते हुए भी साथ जीने की सजा,तो कभी साथ हो कर भी अलग

होने की खता...टूटे दिल भी अक्सर जुड़ने की बात करते है,तो कही दिल जुड़ कर सदा के लिए जुदा

हो जाते है---अब तो जवाब दे ज़िंदगी,इस दुनिया मे आखिर ख़ुशी के मायने क्या है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...