Saturday 4 November 2017

शर्त है अगर प्यार मे तो यह प्यार कहा होगा....हर बात पे एक नया सवाल है तो इकरार भला कहा होगा

पलके भीग जाती है बिना वजह,दिल यू ही उदास हो जाता है...यह खौफ है तो मुहब्बत का निशाँ कहा होगा

तेरे आने पे दिल धड़कता तो है,पर यह धक् धक् किसी डर का आगाज़ है तो यह दिल बेताब कहा होगा

ना रख कोई शर्त प्यार मे,जब चाहा तुझी को टूट कर तो किसी और का दाखिले-अंदाज़ कहा होगा ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...