किस्मत की लकीरो को देखा और कहा...तुझ से कोई शिकवा नहीं मुझ को....तेरे हर फैसले को मन से
कबूल किया मैंने...तेरी दी हर नियामत को रूह से शुक्रिया किया मैंने...आंसू जब जब भी छलके इन
आँखों से,खुद के ही कर्मो का हिसाब माना मैंने....खुशियाँ जब भी दी तूने,इन्ही बूंदो से नमन किया
तुझे मैंने...मेरी हिम्मत की दाद तो दे ना अरे किस्मत मेरी,हर मोड़ पे खुश हू यह सोच कर....लकीरो
का यह खेल बहुत खूबसूरत दिया तूने मुझ को....
कबूल किया मैंने...तेरी दी हर नियामत को रूह से शुक्रिया किया मैंने...आंसू जब जब भी छलके इन
आँखों से,खुद के ही कर्मो का हिसाब माना मैंने....खुशियाँ जब भी दी तूने,इन्ही बूंदो से नमन किया
तुझे मैंने...मेरी हिम्मत की दाद तो दे ना अरे किस्मत मेरी,हर मोड़ पे खुश हू यह सोच कर....लकीरो
का यह खेल बहुत खूबसूरत दिया तूने मुझ को....