हर छोटी बात पे अक्सर रो देते थे हम...बिना कोई खता किए ही उसे अपनी खता मान लेते थे हम
ज़माना करता रहा गुस्तखियाँ हम से,और नादानी से भरे उस को अपनी किस्मत मानते रहे हम
अक्सर अकेले मे बेवजह उन्ही दुखो को झेलते रहे हम,जो गुनाह कभी किए ही नहीं..उन के इलज़ाम
भी सहते रहे हम..जब थका दिया इन दुखो ने,तो बस बगावत पे ही उतर गए हम...आज यह आलम
है दुखो से पूछते है....कौन हो तुम ? तुम को छोड़ कर अपनी छोटी से दुनिया मे अब बस गए है हम....
ज़माना करता रहा गुस्तखियाँ हम से,और नादानी से भरे उस को अपनी किस्मत मानते रहे हम
अक्सर अकेले मे बेवजह उन्ही दुखो को झेलते रहे हम,जो गुनाह कभी किए ही नहीं..उन के इलज़ाम
भी सहते रहे हम..जब थका दिया इन दुखो ने,तो बस बगावत पे ही उतर गए हम...आज यह आलम
है दुखो से पूछते है....कौन हो तुम ? तुम को छोड़ कर अपनी छोटी से दुनिया मे अब बस गए है हम....