Friday 10 November 2017

तेरे नाम से जीते,तेरे नाम से ही मर जाते...तूने जो ज़रा सा अपना माना होता,खुदा की कसम सब

कुछ छोड़ देते....हसरते बहुत जय्दा तो ना थी,गुलामी की ज़ंजीरो की वो सजा तो ना देते...तेरे चेहरे

की वो नमी,तेरी आँखों की वो हसी...तेरे ही आगोश मे रफ्ता रफ्ता वो जीने का सिला...उन खूबसूरत

लम्हो की इंतज़ार लिए,तेरी ही चौखट पे सर रख देते...यक़ीनन...तूने हम को जो दिल से चाहा होता

कसम खुदा की सब कुछ पल मे ही छोड़ देते....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...