Thursday 30 November 2017

चाहत की दुनिया से दूर,बहुत दूर.......खुले आसमान मे निकल आए है हम....तमाम बंदिशों से परे,खुद

की दुनिया मे मशरूफ हो गए है हम....ज़माना पूछता है हम से,क्यों इतना बदल गए है हम....पुराने

लिबास को छोड़ कर,खुदा की दुनिया मे समा गए है अब....पलकों मे नमी नहीं,पलकों के किनारे सूख

चुके है अब....मज़िल को पाने के लिए,मंज़िल की और बढ़ते जा रहे है हम....खुद से खुद का नाम पाने

के लिए,हज़ारो दुआओ का सहारा ले रहे है हम....
आँखों की नमी और दिल की ख़ुशी...सीने का यह दर्द और तेरे मिलने की घड़ी....कुछ मेल नहीं पर मेल

तो है,तुम साथ मेरे नहीं पर फिर भी आने का अहसास तो है.....बिजली की चमक और गुस्ताख़ नज़रो

का यह खौफ,मेल नहीं पर मेल तो है....तेरे चेहरे पे नफरत की झलक पर दिल मे मुहब्बत की खलिश

क्या कहते है इसे,याद आता है मगर कुछ, फिर कुछ याद आता ही नहीं...दिल के टुकड़े कई बार हुए,

यह दिल घायल फिर भी है मगर...कुछ मेल नहीं पर मेल तो है....

Sunday 26 November 2017

 आप के सपनो को उड़ान देने के लिए,खुद के पंख देने आए है---उन मे मुहब्बत का नशा भरने के लिए

अपनी चाहत की गागर ले आए है----छलक रहा है हमारी आँखों से इक बरकत का हिसाब,जो चला है

चले गा..बरसो बरस आप के इन्ही सपनो के साथ----कभी लगे जो आप को,हमारी दुआओं मे कही कमी

आई है...भूल कर खुद को आप की ज़िंदगी मे आप ही का नज़राना बन के आ जाए गे-----

Thursday 23 November 2017

दोस्तों...कल मेरी संस्था मे रहने वाले एक बच्चे ने मुझे से पूछा...मैडम..आप हमेशा इतनी खुश कैसे रहती है..हर पल मुस्कुराती हुई...क्या आप के पास कोई दुःख नहीं ???? उस बच्चे का सवाल मुझे सब कहने पे मज़बूर कर गया.....बेटा..जब आप जीवन के बेहद कठिन दौर,बेहद दर्द और अपमान से बार बार गुजरते है और कई बार आप ईश्वर से हाथ जोड़ कर यह भी कहते है कि अब और नहीं...अब सहा नहीं जाता...तब आप मे एक नई ताकत,नई शक्ति जनम लेती है..यह वो वक़्त होता है जब आप भगवन  के करीब और करीब होने लगते है..पूजा मे जब हमारा मन रमने लगे,धयान मे बैठे तो वक़्त का अहसास ही ना हो..तो समझ लीजिये कि अब वो रिश्ते,वो लोग ज़िन्हो ने आप को दुःख-दर्द दिए..वो तमाम परिस्तिथिया ...अब आप के लिए कुछ भी मायने नहीं रखती...जब कही से भी प्यार,सम्मान लेने की इच्छा तक ना रहे तो अपमान का कोई मायने नहीं रहते..बेटा..याद रखे कि जब भी आप का समय अच्छा ना हो तो रोने मे खुद को संताप ना दे बल्कि इस वक़्त हम को धैर्य की बहुत जरुरत होती है...खुद को इस अग्नि-परीक्षा के लिए तैयार कीजिये..पुस्तके पढ़े,उन महान विद्वानों की,लेखकों की...जो इस वक़्त हमारे साथी,हमारी प्रेरणा बन जाते है...बेटा..मेरे दुखो ने ही मुझे जीना सिखाया है..हम सब को कोई ना कोई दुःख दर्द होता ही है..बस जरुरत है खुद को सँभालने की..कि आप कौन सा रास्ता चुनते है...मैंने पूजा का,किताबो का,भगवन का साथ चुना...तुम सब की खुशियों मे अपने दुखो को होम कर दिया..अब मे खुद को भूल कर आप सब के अंदर जीती हु...इसलिए हमेशा खुश रहती हु...हमेशा...उस बालिका ने मेरे हाथो को अपने माथे से लगाया और कहा ...मैडम ..आज से आप मेरी प्रेरणा हो...दोस्तों..आज सही मायने मे मैंने अपने दुखो पे विजय पा ली......शुभ रात्रि....

Sunday 12 November 2017

तेरी हर ज़िद को पूरा करते आए है...तेरे दिल को कही ठेस ना पहुंचे,इस का ख्याल भी रखते आए है 

कभी यह ज़िंदगी जो दे गई दग़ा,साँसों का यह पहरा जो हो गया जुदा...पलक झपकते ही तुझ से दूर

हो जाए गे....तेरी बाहो मे सिमटने का सुख फिर ना पाए गे....तुझ से जुदाई के एहसास भर से रूह

मेरी डर जाती है...इसी लिए तेरी ज़िंदगी को सकून देने के लिए,तेरे हर अरमान को पूरा करते आए है  

Saturday 11 November 2017

शुक्रिया ना करू ..इबादत भी ना करू...तेरी तारीफ़ मे मेरे मालिक गर सज़दा ना करू....यक़ीनन इस

ज़िंदगी का कोई मायने ही नहीं होगा...दौलत मिले या शौहरत मिले या ज़माने की हज़ारो खुशिया भी

क्यों ना मिले....तू अगर मेरे साथ नहीं,तेरा मेरे सर पर अगर हाथ नहीं..क्या करू गी इन तमाम चीज़ो

का...तेरी पूजा का अगर वरदान मिले,तुझे दिल मे बसाने का बस एक ख्याल मिले तो मेरे दाता,इस

जीवन मे इस से बड़ी नियामत और क्या होगी...अब भी तुझे याद ना करू तो यह ज़िंदगी कुछ नहीं होगी...

Friday 10 November 2017

तेरे नाम से जीते,तेरे नाम से ही मर जाते...तूने जो ज़रा सा अपना माना होता,खुदा की कसम सब

कुछ छोड़ देते....हसरते बहुत जय्दा तो ना थी,गुलामी की ज़ंजीरो की वो सजा तो ना देते...तेरे चेहरे

की वो नमी,तेरी आँखों की वो हसी...तेरे ही आगोश मे रफ्ता रफ्ता वो जीने का सिला...उन खूबसूरत

लम्हो की इंतज़ार लिए,तेरी ही चौखट पे सर रख देते...यक़ीनन...तूने हम को जो दिल से चाहा होता

कसम खुदा की सब कुछ पल मे ही छोड़ देते....

Thursday 9 November 2017

हर छोटी बात पे अक्सर रो देते थे हम...बिना कोई खता किए ही उसे अपनी खता मान लेते थे हम

ज़माना करता रहा गुस्तखियाँ हम से,और नादानी से भरे उस को अपनी किस्मत मानते रहे हम

अक्सर अकेले मे बेवजह उन्ही दुखो को झेलते रहे हम,जो गुनाह कभी किए ही नहीं..उन के इलज़ाम

भी सहते रहे हम..जब थका दिया इन दुखो ने,तो बस बगावत पे ही उतर गए हम...आज यह आलम

है दुखो से पूछते है....कौन हो तुम ? तुम को छोड़ कर अपनी छोटी से दुनिया मे अब  बस गए है हम....

बहुत ही ख़ामोशी से वो लिख रहे थे नज़्मे हमारी वफाओ पे...घंटो मसरूफ थे हमारी ही दास्ताँ लिख

रहे थे,हमारी नज़रो से दूर हमारी ही अदाओ पे....हम से नज़रे मिली तो ख़ौफ़ज़दा क्यों हो गए,क्यों

पन्नो को छिपाया और बेहद खामोश हो गए....इकरार तो कभी खुल कर किया नहीं,हम से बाते वफ़ा

की कभी की नहीं..माशाअल्लाह....तेरी मुहब्बत की यह खामोश अदा,हम तो यू ही मर मिटे है तुम पे

पन्नो का हिसाब नहीं,नज़्मों की कोई बात नहीं..बस हम ज़िंदा है तेरी इसी लियाकत के लिए...

Wednesday 8 November 2017

यू तो तेरे लिए दुनिया अपनी छोड़ आए है...बेख़ुदी मे बढ़ाया जो हम ने कदम,यक़ीनन ज़माने को ही

मात दे आए है....नक़्शे-कदम पे तेरे चलने के लिए,तेरी ही  राहो मे तेरा साथ देने चले आए है...खुद्दार

बहुत है लेकिन यकीं तुझ पे कर के,फिर भी तेरी ज़िंदगी मे तेरे हमसफ़र बनने चले आए है....बदल गई

किसी रोज़ जो  निगाहे तेरी,टूटे गे बहुत बहुत मगर...अपनी इसी खुद्दारी को साथ लिए इसी दुनिया को

छोड़ जाए गे...

Tuesday 7 November 2017

तुझ से गिला क्या करू,कोई शिकायत भी कैसे करू....हर कदम पे ले रही ज़िंदगी इम्तिहाँ मेरे....दर्द

को खुद मे समेटे हुए,लबो पे मुस्कराहट का लबादा ओढे हुए...कभी जिए इस के लिए तो कभी जिए 

उस  के लिए....सपने कुर्बान करते रहे, कभी किसी की ज़िद के लिए तो कभी किसी की ख़ुशी के लिए ...

खुद के लिए हम कब जिए...खुद के लिए हम कब हॅसे...ढूढ़ते रहे लम्हे अपने लिए...साँसों की डोर

टूटे कभी,इस से पहले खुदा को याद कर बस शुक्रिया कहे...सिर्फ शुक्रिया ही कहे......

Monday 6 November 2017

किस्मत की लकीरो को देखा और कहा...तुझ से कोई शिकवा नहीं मुझ को....तेरे हर फैसले को मन से

कबूल किया मैंने...तेरी दी हर नियामत को रूह से शुक्रिया किया मैंने...आंसू जब जब भी छलके इन

आँखों से,खुद के ही कर्मो का हिसाब माना मैंने....खुशियाँ जब भी दी तूने,इन्ही बूंदो से नमन किया

तुझे मैंने...मेरी हिम्मत की दाद तो दे ना अरे किस्मत मेरी,हर मोड़ पे खुश हू यह सोच कर....लकीरो

का यह खेल बहुत खूबसूरत दिया तूने मुझ को....

Sunday 5 November 2017

करते है तागीद कितनी ही बार उन से,किसी रोज़ हम को मिलने आ जाओ...बीत रहे साल दर साल

कभी तो सूरत दिखा जाओ...किसी दिन जो रुक गई यह धड़कन हमारी,लौट के ना आए गे फिर ज़िंदगी

मे तुम्हारी...बुलाते रहो गे हज़ारो बार फिर तुम्ही हम को,ना उठ पाए गे तुझे इतने करीब से भी देख कर

मेरी हर बात को हवा मे उड़ा देने वाले,उड़े गे जिस रोज़ हवा मे हम ऐसे...तेरे आंसू पुकारे गे कि लौट आओ

बीते गे फिर साल दर साल,हम लौट के ना आए गे....

Saturday 4 November 2017

शर्त है अगर प्यार मे तो यह प्यार कहा होगा....हर बात पे एक नया सवाल है तो इकरार भला कहा होगा

पलके भीग जाती है बिना वजह,दिल यू ही उदास हो जाता है...यह खौफ है तो मुहब्बत का निशाँ कहा होगा

तेरे आने पे दिल धड़कता तो है,पर यह धक् धक् किसी डर का आगाज़ है तो यह दिल बेताब कहा होगा

ना रख कोई शर्त प्यार मे,जब चाहा तुझी को टूट कर तो किसी और का दाखिले-अंदाज़ कहा होगा ....
दोस्तों..मेरी शायरी के हर रूप को पसंद करने के लिए..आप सभी का तहे-दिल से शुक्रिया...दोस्तों..मेरी शायरी कभी भी किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं लिखी जाती..यह सिर्फ और सिर्फ शायर की कल्पना की उड़ान है....आप सभी का आभार,अभिनन्दन...शुक्रिया....

Thursday 2 November 2017

मेरे पास जीने की वजह क्या होगी...तेरी यादो के सिवा यह ज़िन्दगी अब और क्या होगी....बहुत मिला

इस जहाँ मे शोहरत का  मुकाम मुझ को,जहा जहा कदम पड़े वही सलाम किया इस दुनिया ने मुझ को

मेरी मुस्कराहट पे फ़िदा हो गई कायनात सारी,खामोश कभी हुए सवाल उठा दिए दुनिया ने मुझ पर

यह आंखे जब जब भी डबडबाई है तेरे लिए,रातो ने नींद उड़ाई है जब भी तेरे लिए....रूह ने कहा तुझ से

यह ज़िन्दगी तेरी यादो के सिवा अब कुछ भी नहीं,कुछ भी तो नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...