धड़कने....जो हमेशा तेरे मिलने पे,अक्सर बेलगाम हो जाया करती है....और यह जुबाँ.....बोलने की
जगह खामोश हो जाया करती है....पाँव जो हमेशा तेरी राह देखने के लिए,बेहताशा भागा करते है और
फिर तेरे आने पे जड़ हो जाया करते है....और यह जिस्म तेरे इश्क की ताकत से,तेरी ही रूह को खुद ही
समर्पित हो जाया करता है...पाक साफ़ रहे तेरा मेरा दामन,रूह से रूह का मिलन खुदा के दरबार मे बस
फ़ना हो जाया करता है...
जगह खामोश हो जाया करती है....पाँव जो हमेशा तेरी राह देखने के लिए,बेहताशा भागा करते है और
फिर तेरे आने पे जड़ हो जाया करते है....और यह जिस्म तेरे इश्क की ताकत से,तेरी ही रूह को खुद ही
समर्पित हो जाया करता है...पाक साफ़ रहे तेरा मेरा दामन,रूह से रूह का मिलन खुदा के दरबार मे बस
फ़ना हो जाया करता है...