सुर्खियों मे रहा है हमारी कलम का जादू....लफ्ज़ निखरते है,अदाओ मे हस देते है और कभी पन्नो पे
यूं ही बिखर बिखर जाते है...लिखते है कभी दास्तां मुहब्बत की तो कभी दर्द को अपना कर बेवजह इन्ही
पन्नो मे सिमट जाते है....दुनिया दाद देती है लफ्ज़ो की अदायगी पे हम को,सलाम करती है पन्नो की
रोशनाई पे हम को...हम कोई आफताब नहीं,बस एक बाशिंदे है उस मालिक के...जिस ने दे दी कलम इस
हाथ मे और सर पे हाथ रख दिया हमारे हुनर के ख़िताब पे.....
यूं ही बिखर बिखर जाते है...लिखते है कभी दास्तां मुहब्बत की तो कभी दर्द को अपना कर बेवजह इन्ही
पन्नो मे सिमट जाते है....दुनिया दाद देती है लफ्ज़ो की अदायगी पे हम को,सलाम करती है पन्नो की
रोशनाई पे हम को...हम कोई आफताब नहीं,बस एक बाशिंदे है उस मालिक के...जिस ने दे दी कलम इस
हाथ मे और सर पे हाथ रख दिया हमारे हुनर के ख़िताब पे.....