Monday 23 October 2017

कही से महक आ रही है....कही से किसी की धड़कनो की आवाज़ सुन रही है...कभी लगता है दबे पाँव

किसी ने आहट की है...रूह ने कहा मुझ से,सज ले..सवर ले और कर ले सोलह श्रृंगार.....पायल की रुनझुन

से तुझे जीत लेना है अपने साजन का सारा प्यार.....हाथो के कंगना ले गे बलाए उस की,और तेरी मुस्कान

उड़ा दे गी होश तेरे मेहबूब के.....चाहत पाने के लिए जरुरी तो नहीं कि जश्न मनाया जाए,यह सिलसिला

है कुछ ऐसा कि कुछ कहा भी नहीं और सब सुन लिया हम ने.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...