काश यह तेरी खुदगर्ज़ी ही होती,तो यूँ हम परेशां ना होते-----तेरे अलविदा के लफ्ज़ो को दिल के मोड़ पे
ना लेते---हाथो मे तेरे हाथो का यूँ मज़बूती से पकड़ना,बेवजह धड़कनो को इलज़ाम ना देते----रफ्ता
रफ्ता तेरे चलते रुकते यह कदम,मेरी रूह को यूँ पशेमान ना करते----सलाम करे या तेरी राहो से दूर हो
जाए,मुंतज़र है तेरी हर बात पे हम....डूब जाए या किनारे को अपनी मंज़िल मान ले -----
ना लेते---हाथो मे तेरे हाथो का यूँ मज़बूती से पकड़ना,बेवजह धड़कनो को इलज़ाम ना देते----रफ्ता
रफ्ता तेरे चलते रुकते यह कदम,मेरी रूह को यूँ पशेमान ना करते----सलाम करे या तेरी राहो से दूर हो
जाए,मुंतज़र है तेरी हर बात पे हम....डूब जाए या किनारे को अपनी मंज़िल मान ले -----