हज़ारो पर्दो मे छुपा लो खुद को बेशक,तेरे रूप की चांदनी फिर भी बिखर जाती है---सूरज करता है
सज़दा और चाँद....और चाँद तो बस तुझी को निहारा करता है---पाँव जहा जहा रख देती हो,फूल खुद
ही शाख से टूट कर तेरे कदमो मे बिखर जाते है---मेहँदी हाथो मे सजाने के लिए,यह पत्ते खुद ब खुद
रंगत का नशा लिए तेरी हथेलियों पे मिटने चले आते है---जब रूप सवरता है तेरा,दीवाने तो खुद ही तेरी
और चले आते है----
सज़दा और चाँद....और चाँद तो बस तुझी को निहारा करता है---पाँव जहा जहा रख देती हो,फूल खुद
ही शाख से टूट कर तेरे कदमो मे बिखर जाते है---मेहँदी हाथो मे सजाने के लिए,यह पत्ते खुद ब खुद
रंगत का नशा लिए तेरी हथेलियों पे मिटने चले आते है---जब रूप सवरता है तेरा,दीवाने तो खुद ही तेरी
और चले आते है----