Saturday 9 September 2017

हवाएं दस्तक नहीं देती,बस बहा करती है----कभी आसमां से सितारों की तरफ तो कभी ज़मी को चूम

लेती है---सर्द हवाएं  अक्सर रिश्तो को पास ले आती है,गर्म सांसो को मुहब्बत मे पनाह दे जाती है----

बदले बदले रुख से ज़माने को बेखबर कर जाती है,यू ही नहीं कहते कि हवाओ के रुख से अक्सर लोग

गुमराह हो जाते है---कभी बेबसी मे तो कभी नशे मे चूर इन्ही हवाओ मे बह जाते है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...