Sunday 24 September 2017

हसरतो का ज़नाज़ा ना निकले,इस डर से उस ने हमारा दामन थाम लिया---लोग बेवजह सवाल

उठा दे गे,इसी खौफ से अदब से हमें सर पे बिठा लिया---कदम जहाँ जहाँ पड़े हमारे,फूलो को नाज़

से राह मे हमारी बिछा दिया----नूरानी चेहरे को नज़र ना लगे ज़माने की,यह कह कर काजल का टीका

हमारे माथे पे ही सजा दिया---देखते ही रह गए,इस शख्स की क्या पहचान है..खुद को ज़नाज़े से बचाने

के लिए हमीं को हमारे ही दामन मे थमा दिया---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...