हसरतो का ज़नाज़ा ना निकले,इस डर से उस ने हमारा दामन थाम लिया---लोग बेवजह सवाल
उठा दे गे,इसी खौफ से अदब से हमें सर पे बिठा लिया---कदम जहाँ जहाँ पड़े हमारे,फूलो को नाज़
से राह मे हमारी बिछा दिया----नूरानी चेहरे को नज़र ना लगे ज़माने की,यह कह कर काजल का टीका
हमारे माथे पे ही सजा दिया---देखते ही रह गए,इस शख्स की क्या पहचान है..खुद को ज़नाज़े से बचाने
के लिए हमीं को हमारे ही दामन मे थमा दिया---
उठा दे गे,इसी खौफ से अदब से हमें सर पे बिठा लिया---कदम जहाँ जहाँ पड़े हमारे,फूलो को नाज़
से राह मे हमारी बिछा दिया----नूरानी चेहरे को नज़र ना लगे ज़माने की,यह कह कर काजल का टीका
हमारे माथे पे ही सजा दिया---देखते ही रह गए,इस शख्स की क्या पहचान है..खुद को ज़नाज़े से बचाने
के लिए हमीं को हमारे ही दामन मे थमा दिया---