सुर्ख लब गवाही दे रहे है तेरे प्यार मे मदहोश होने की---कहने की जरुरत तो कुछ भी नहीं,बात है
सिर्फ होश खो देने की---आंखे जब भी इशारा देती है किसी फ़साने का,लब लगा देते है पहरा खामोश
हो जाने का----यू ना कीजिये हसरतो को खुद से जुदा,राज़ है गहरे जरा रात को होने तो दो---चाँद खफा
ना हो जाए कही,चांदनी को उस की गिरफत से आज़ाद होने तो दो---
सिर्फ होश खो देने की---आंखे जब भी इशारा देती है किसी फ़साने का,लब लगा देते है पहरा खामोश
हो जाने का----यू ना कीजिये हसरतो को खुद से जुदा,राज़ है गहरे जरा रात को होने तो दो---चाँद खफा
ना हो जाए कही,चांदनी को उस की गिरफत से आज़ाद होने तो दो---