Monday 18 September 2017

यह कलम जब जब तेरा नाम लिखती है....आँखों मे आंसू आ जाते है और ज़ुबाँ खामोश हो जाती है

बिखरे है अनगिनत शब्द मेरी लिखी हर किताब मे....गरूर से भरा है प्यार मेरा तेरा, मखमली भरे

किसी अनोखे से जवाब से.....मुस्कुरा देते है जब जब तेरा नाम,सुनहरे सपनो से जोड़ लेते है.....क्या

कहे इस कलम से,कि पास हो हमेशा तेरा वज़ूद और यु ही तेरी ज़िन्दगी को अपनी ज़िन्दगी से जोड़

लेते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...