Friday 15 September 2017

छन छन छन छन ----- यह पायल तेरी क्यों सोने नहीं देती ---- बजते है कंगन और चूड़ियाँ... दिल को

चैन लेने क्यों नहीं देती ----- यह बिखरे बिखरे काले गेसू... सुबह को आने क्यों नहीं देते ---- यह तेरी

हॅसी जान ले जाए गी मेरी...फिर ना कहना कि तू तो जान थी मेरी ----कुछ रुके से कदम कुछ बहके से

अंदाज़ ....रफ़्तार तेरे चलने की क्यों मुझे सम्भलने  ही नहीं देती -----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...