Thursday 14 September 2017

आप जीने की वजह बनते रहे और हम--- साँसों की मोहलत लिए आप से मुहब्बत करते रहे---हवा के

झोको मे ऐसी कशिश देखी नहीं,बादल जो अब बरसे वैसी बूंदे तो कभी बरसी ही नहीं----किसी ने दे कर

वजह जीने की,मुस्कुराना हमे सिखा दिया----आईना देखते है बार बार,कि सूरत अपनी से ही प्यार करना

सिखा दिया---यू तो ज़ी रहे थे बेवजह,आप के प्यार मे डूबे इतना कि मुहब्बत को मुहब्बत की नज़र से

दीदार बस करते रहे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...