Friday 18 August 2017

दोस्तों....मेरी शायरी के हर रूप को पसंद करने का शुक्रिया....दर्द मे डूबी हुई,प्यार के दरिया मे लिपटी या फिर इबादत और पाक मुहब्बत के पन्नो को खोलती.....दोस्तों...मेरी शायरी किसी व्यकित विशेष के लिए नहीं होती...यह सिर्फ शायर की कल्पना के अनेको रूप को दर्शाती है....आप सभी का आभार ... शुक्रिया....शुभकामनाएं.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...