Sunday 13 August 2017

रूबरू तो नहीं हुए कभी आप से ,कभी होंगे भी तो कब होंगे....किस्मत किसी मोड़ पे क्या करती है

राहे मंज़िलो मे किस को किस से मिलाती है,खवाबो को मंज़िल देने के लिए कभी रूकती है तो कभी

खवाबो को खूबसूरत सा नाम दे जाती है...ठहराव भरा है आप की बातो मे,एक अदब मिला सालो बाद

किसी से पन्नो की किताबो मे....लोगो की नज़र मे हम क्या होंगे,आप की नज़र मे फरिश्ता है इस से

जय्दा और खुशनसीब हम कहाँ होंगे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...