कभी जो दे गई यह ज़िन्दगी दगा,दामन मे तो तेरे लौट आये गे---बहुत कुछ बहुत कुछ है बताने के
लिए,क्या छिपाए गे और क्या बोल पाए गे---बहुत दर्द मिला अपनों से यहाँ,बेगानो को क्या इलज़ाम
दे पाए गे---तुम होते साथ तो इल्ज़ामो के घेरे मे ना घिरे होते---इक शंहशाह की मुमताज़ बने, अपने
ताजमहल की रौनक होते--सितारों से भरा होता आज दामन हमारा,तेरी आगोश मे कही दूर बहुत दूर
ज़न्नत की सैर पे निकल जाते ----
लिए,क्या छिपाए गे और क्या बोल पाए गे---बहुत दर्द मिला अपनों से यहाँ,बेगानो को क्या इलज़ाम
दे पाए गे---तुम होते साथ तो इल्ज़ामो के घेरे मे ना घिरे होते---इक शंहशाह की मुमताज़ बने, अपने
ताजमहल की रौनक होते--सितारों से भरा होता आज दामन हमारा,तेरी आगोश मे कही दूर बहुत दूर
ज़न्नत की सैर पे निकल जाते ----