ज़ज़्बातो मे पिघलते हुए अल्फ़ाज़ तेरे,दामन से लिपटे तेरे बेखबर अंदाज़ मेरे----यूँ तो मुहब्बत तेरी
बेवफा नहीं,मेरी रूह की ताकत से जयदा कही खिदमते-वफ़ा है मेरी---जन्म बार बार लेते रहे,तुझी से
तुझ को पाने के लिए---कभी रोशन हुए,कभी तन्हा रहे.. कभी यूँ ही तुझे बस निहारते ही रहे---पाक
मुहब्बत के मायने तुझे समझा जाए गे,सितारों मे कही दूर किसी रोज़ छिप जाए गे---तेरी नज़रो मे
अपना अक्स ढूंढे गे,अल्फ़ाज़ तो फिर भी पिघले गे..मगर दामन मे तेरे नज़र नहीं आए गे----
बेवफा नहीं,मेरी रूह की ताकत से जयदा कही खिदमते-वफ़ा है मेरी---जन्म बार बार लेते रहे,तुझी से
तुझ को पाने के लिए---कभी रोशन हुए,कभी तन्हा रहे.. कभी यूँ ही तुझे बस निहारते ही रहे---पाक
मुहब्बत के मायने तुझे समझा जाए गे,सितारों मे कही दूर किसी रोज़ छिप जाए गे---तेरी नज़रो मे
अपना अक्स ढूंढे गे,अल्फ़ाज़ तो फिर भी पिघले गे..मगर दामन मे तेरे नज़र नहीं आए गे----