Thursday 1 June 2017

मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर

दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कहर की सीमा अब हद से गुज़री है---यूं तो निहारती

है यह दुनिया तुझे तेरे हुसन के चर्चो से,अब सारे जहाँ को यूं भिगो के क्यों मार देने पे उतरी है---धरती

पे भर रहा है सैलाब इतना.. जानम  अब तो मान ले कहना कि इसी धरती ने तुझे इस जहाँ मे उतारा है 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...