Saturday 3 June 2017

इतनी ख़ामोशी क्यों है तेरे दिल की धड़कनो मे आज----शोला बनी दहकती हुई वो शमा क्यों उदास

है आज---चेहरे की रंगत को क्या फूलो ने चुराया है आज---इतनी गुमसुम ना बनो कि बहारो को लाज

आने लगी है आज----तेरी  शोख  अदाओ से ना जाने कितनी ज़िंदगिया होती रही है आबाद ---कोई ज़ी

गया तेरे लबो की मुस्कान के साथ---अब तो ख़ामोशी तोड़ दे ..कही ऐसा ना हो जीते जीते कोई दम ही

तोड़ गया हो आज-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...