इतनी ख़ामोशी क्यों है तेरे दिल की धड़कनो मे आज----शोला बनी दहकती हुई वो शमा क्यों उदास
है आज---चेहरे की रंगत को क्या फूलो ने चुराया है आज---इतनी गुमसुम ना बनो कि बहारो को लाज
आने लगी है आज----तेरी शोख अदाओ से ना जाने कितनी ज़िंदगिया होती रही है आबाद ---कोई ज़ी
गया तेरे लबो की मुस्कान के साथ---अब तो ख़ामोशी तोड़ दे ..कही ऐसा ना हो जीते जीते कोई दम ही
तोड़ गया हो आज-----
है आज---चेहरे की रंगत को क्या फूलो ने चुराया है आज---इतनी गुमसुम ना बनो कि बहारो को लाज
आने लगी है आज----तेरी शोख अदाओ से ना जाने कितनी ज़िंदगिया होती रही है आबाद ---कोई ज़ी
गया तेरे लबो की मुस्कान के साथ---अब तो ख़ामोशी तोड़ दे ..कही ऐसा ना हो जीते जीते कोई दम ही
तोड़ गया हो आज-----