Monday 19 June 2017

अपना था कभी जो,आज बेगाना सा लगता है--छूना भी चाहे उसे,तो किसी और की अमानत लगता है---

मिलने के लम्हे होते है इतने छोटे,कि ज़ी भर देख ले उस को...तो यह भी किसी सपने जैसा लगता है---

रोते है बहुत उस को याद कर के,पर उस का जहाँ आबाद रहे..यह सोच कर दिल को पत्थर कर लेते है

यह तड़प रहे गी यू ही ज़िन्दगी भर,कि वो रिश्ता जो जनून सा था..आज इक ख़्वाब जैसा ही लगता है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...