जुस्तजू तो नहीं तेरी,फिर क्यों तेरा इंतज़ार करते है---खयालो मे दूर दूर तक कही भी नहीं मगर,क्यों
रातो की नींद हराम करते है---चाँद को निहारते निहारते अक्सर क्यों तारो की चमक मे खो जाते है
बेवजह ही तन्हा है..बेवजह ही रो पड़ते है--बेकरारी के आलम मे क्यों बदहवास हो जाते है----ढूंढ रहे
है इस की वजह,दिल से कहते है अब दे गवाही कि हम मुंतज़र है उस की मुहब्बत के या अपने आप से
कोई साज़िश करते है---
रातो की नींद हराम करते है---चाँद को निहारते निहारते अक्सर क्यों तारो की चमक मे खो जाते है
बेवजह ही तन्हा है..बेवजह ही रो पड़ते है--बेकरारी के आलम मे क्यों बदहवास हो जाते है----ढूंढ रहे
है इस की वजह,दिल से कहते है अब दे गवाही कि हम मुंतज़र है उस की मुहब्बत के या अपने आप से
कोई साज़िश करते है---