Tuesday 9 May 2017

भीगे भीगे गेसुओं मे..वो भीगा सा चेहरा---पलकों  की नमी पे रुका हुआ बस एक ओस का पहरा---

नरम लबो पे नाम सिर्फ तेरा ही लेने की यह ज़िद्द---मखमली बिछौने पे जनम तेरे संग गुजारने की

वो हलकी सी खलिश---पाँव की पायल को रोकते है अक्सर बजने के लिए..कंगन को छुपाते है आंचल

के तले--हा यारा...यही मुहब्बत है कभी तेरी बाहो मे सिमटने के लिए तो कभी मेरे आंचल मे लिपटने

के लिए----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...