Saturday 6 May 2017

ना तोड़ बंदिशे ज़माने की,कि यह हर दम जगा रहता है---पाक मुहब्बत पे भी गलत नज़र रखता है--

आँखों मे उठते है जो पैमाने प्यार के,उन्हें हवस का नाम देता है--हाथ जो उठते है दुआओ के लिए

उन मे भी कुछ गलत पा लेने की खवाइश समझ लेता है---खुद करता है उसूलो का खून,इश्क के झुकते

कदमो को जवानी का नशा मान लेता है---पाक मुहब्बत के मायने जो जाने होते,दुनिया मे खूबसूरती

का इल्म जरूर समझा होता---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...