कही उलझा दामन तो कही बिखरे गेसू -- कही ज़ल्दबाज़ी मे दुपट्टा लिया थाम ---मिलन की घड़िया
आने को है,कितना सजना है सवरना है..होश मे नहीं है मेरे सुबह-शाम--माथे की बिंदिया,हाथो के
कंगन और अब तो बज उठी यह पायल लेते लेते तेरा नाम---रूह का मिलन तो होना ही है,फिर क्यों
यह धड़कन हो रही बेचैन बेचैन--दिन गिने या रातो को करवटें बदले,अब तो इंतज़ार मे है यह रूहे-खास
आने को है,कितना सजना है सवरना है..होश मे नहीं है मेरे सुबह-शाम--माथे की बिंदिया,हाथो के
कंगन और अब तो बज उठी यह पायल लेते लेते तेरा नाम---रूह का मिलन तो होना ही है,फिर क्यों
यह धड़कन हो रही बेचैन बेचैन--दिन गिने या रातो को करवटें बदले,अब तो इंतज़ार मे है यह रूहे-खास