Saturday 15 April 2017

हज़ारो हाथ उठते है दुआ के लिए...इंसान मुक्कमल  होता है---दौलत से नहीं,शोहरत से भी नहीं...आँखों

की नमी से ज़िंदगियाँ रोशन होती है---कुछ रिश्तो के कुछ भी नाम नहीं होते लेकिन,वो ज़िन्दगी को

सकून देते है---दिल जहा रहे ख़ुशी से भरा,रूह इत्मीनान से हवा लेती है---ज़िन्दगी नाम तो है बस जीने

का,रंक रहे या कोई राजा बने---किस्मत की लकीरो के जो साथ चले,वही इंसान मुक्कमल होता है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...