पूजा के हर धागे मे,इबादत के हर पन्ने मे....कलम की स्याही मे और मेरे दिल की किताब मे....जब
भी याद किया तो बस तुझी को याद किया..अपने घर के उस आंगन मे,हर खिड़की हर उस दरवाज़े मे
हर चोखट पे पाँव धरा जब जब....फरियाद मे खुदा से यही माँगा कि इबादत का आखिरी पन्ना तेरे ही
घर की उन्ही हवाओ से गुजरे,मेरी ही साँस का आखिरी लम्हा उसी घर के आंगन मे निकले...जो भी
निकले उस रह-गुज़र से,तेरे मेरे रिश्ते को कहानी को समझे...
भी याद किया तो बस तुझी को याद किया..अपने घर के उस आंगन मे,हर खिड़की हर उस दरवाज़े मे
हर चोखट पे पाँव धरा जब जब....फरियाद मे खुदा से यही माँगा कि इबादत का आखिरी पन्ना तेरे ही
घर की उन्ही हवाओ से गुजरे,मेरी ही साँस का आखिरी लम्हा उसी घर के आंगन मे निकले...जो भी
निकले उस रह-गुज़र से,तेरे मेरे रिश्ते को कहानी को समझे...