रूह ने रूह को पुकारा यू ऐसे..कि यह ज़िन्दगी फ़ना हो गई--जिस्मे-जान नहीं रहे बेशक,पर इबादते-पाक
मे दुआ क़बूल हो गई--- दुनिया की समझ से परे है तेरे मेरे प्यार का यह अनमोल सा रिश्ता---जो टूटा
है मगर खत्म नहीं हुआ अब तक---लोग तेरे मेरे घर को जानते है ईट-पत्थर का एक घर,पर वो एक मंज़र
है रूह से रूह को मिलाने की जगह---बस इंतज़ार है इन सांसो के टूट जाने का,फिर तो रहना है वही जो
तेरे मेरे प्यार का आशियाना है---
मे दुआ क़बूल हो गई--- दुनिया की समझ से परे है तेरे मेरे प्यार का यह अनमोल सा रिश्ता---जो टूटा
है मगर खत्म नहीं हुआ अब तक---लोग तेरे मेरे घर को जानते है ईट-पत्थर का एक घर,पर वो एक मंज़र
है रूह से रूह को मिलाने की जगह---बस इंतज़ार है इन सांसो के टूट जाने का,फिर तो रहना है वही जो
तेरे मेरे प्यार का आशियाना है---