Wednesday 15 March 2017

कभी दर्द तो कभी तन्हाई है,फिर क्यों यह ज़िन्दगी बेवजह मुस्कुराई है---आंसू लिए आँखों मे,ज़िन्दगी

की यह शाम ख़ुशी से क्यों हँस पाई  है----लम्हा लम्हा कतरा कतरा चुन रहे है फूल इन वादियो से,कौन

जाने कब कही वो लौट आये ---मन्नतो मे किन्ही खास दुआओ मे,हर बदलते हालात के किनारो मे वो

रात कभी तो आए  गी जिस के लिए यही ज़िन्दगी बार बार मुस्कुराई है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...