Thursday 30 March 2017

कही उन की नींद ना टूटे,इस ख्याल से हम ने पायल को बजने से रोक लिया---खलल ना हो कही उन के

सपनो मे,यह सोच कर हम ने गेसुओं को उन के चेहरे पे झुकने से रोक दिया---चूड़िया बजने लगी जो

रात के अँधेरे मे,उन की खनक को प्यार से बस चूम लिया---निहारते रहे उन को सोते हुए,मासूम सी

सूरत पे खुद को उन से प्यार करने के लिए....खुद को रोका जो रोका...पर पलकों को भिगोने से बस रोक

लिया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...