Wednesday 29 March 2017

कहने के लिए तो यह सारा जहाँ अपना है...पर अपनेपन के नाम पे अपना कोई भी तो नहीं----सितारों

से भरा यह आसमाँ भी तो अपना है,पर एक सितारा कही अपना  ही नहीं---मुझे तुम से प्यार है,यह

झूठा भुलावा मिलता है हर जगह से मगर, पर साथ चलने के लिए कोई एक शख्स भी तो नहीं---यह

दुनिया है ख़ुदग़र्ज़ो की,जहा मतलब के लिए लोग रिश्तो को ही बदल जाते  है---और दे के दुहाई बदनामी

की अपने दामन को साफ़ कर जाते है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...