Sunday 19 March 2017

ना तब शिकायत थी,ना आज है--सादगी से भरा  जीवन कल भी था,तो आज भी बरक़रार है---साथ चलने

का वादा कल भी था,साथ जीने की ख्वाइश आज भी है---बरसो बीत गए साथ छूटे हुए,पर तेरे दिए उस

ताजमहल मे रहने का मन तो आज भी है----खनक चूड़ियो की आज भी बजती है कानो मे मेरे,यह बात

और है कि उन चूड़ियो की धरोहर आज भी तेरी तस्वीर के पास मौजूद है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...