Tuesday 14 March 2017

दिल के इस आंगन मे,दूर दूर तक बहुत ख़ामोशी है लेकिन---प्यार की इंतिहा खत्म नहीं है अब तक---

परिंदो के चहकने की वो प्यारी सी वजह,मखमली बिस्तर पे यादो के पन्नो की वो खामोश सदा---

कुछ कहे या ना कहे,कुदरत के इशारो पे रहने की वजह---यह ज़िन्दगी बहुत ही खामोश है लेकिन,हर

साँस के साथ दुआओ मे रहने की वजह--आज भी कहती है कि इबादत ही इबादत है अब जीने की वजह

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...